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Thursday, July 12, 2007


आदर्श प्रेम - हरिवंश राय बच्चन

प्यार किसी को करना लेकिन
कहकर उसे बताना क्या
अपने को अर्पण करना पर
और को अपनाना क्या

गुण का ग्राहक बनना लेकिन
गाकर उसे सुनाना क्या
मन के कल्पित भावो से
औरो को भ्रम में लाना क्या

ले लेना सुगंध सुमनों कि
पर तोड़ उन्हें मुरझाना क्या
प्रेम हार पहनाना लेकिन
प्रेम पाश फैलाना कया

त्याग अंक में पले प्रेम शिशु
उनमें स्वार्थ बताना क्या
देकर ह्रदय ह्रदय पाने कि
आशा व्यर्थ लगाना क्या

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